हरिद्वार। उदासीन सम्प्रदाय के संत दयानंद मुनि ने अखाड़े के संतों पर धार्मिक संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने और मंदिर की बेशकिमती मूर्तियों को बेचे जाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। साथ ही अखाड़े के चल रहे विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए प्रधानमंत्री से मामले में सीबीआई जांच की मांग की हैं।
प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में दयानंद मुनि ने उदासीन संगत फुलवारी शरीफ पटना, बिहार निवासी बताते हुए कहा कि उदासीन सम्प्रदाय का संविधान के अनुसार पूरब ,पश्चिम ,उत्तर, दक्षिण पंगत में गुरू प्रणाली के तहत महंत बनाया जा सकता हैं। अभी अखाड़े में संविधान के विपरीत तीन संत संविधान के विरूद्ध कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिना संविधान पढ़े ही निजी स्वार्थो के चलते संतों को पदों से हटाने में लगे हुए हैं ।
पत्रकार वार्ता में श्री पंचायती आखाड़ा बड़ा उदासीन में चल रहे विवाद को लेकर संत दयानंद मुनि ने अखाड़े के संतों पर अयोध्या रानी पाली स्थित बेशकिमती धार्मिक संपत्तियों खुर्द-बुर्द कर बेचे जाने सहित मंदिर और मठों की प्राचीन मूर्तियों को लाखों रूपए में बेचे जाने का आरोप लगाया हैं। उन्होंने कहा कि संत होने के बावजूद अखाड़े कुछ ऐसे संत भी हैं जो धार्मिक संपत्तियों को बेचकर अपने परिवार का पालन कर रहे हैं। उन्होंने अखाड़े के संतों पर चरित्र भ्रष्ट होने के साथ-साथ पदभ्रष्ट होने का सीधा-सीधा आरोप लगाया।
संत दयानंद ने पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि उदासीन अखाड़े के संतों पर भूमाफियाओं से मिलीभगत कर आश्रमों और अखाड़ों की संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि उनके पास आरोपों से संबंधित तथ्य सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि अखाड़े के जितने भी संत लापता हुए या जिनकी हत्या करा दी गई हैं या फिर शोषण आदि हुआ उन सब मामलों की जांच सीबीआई से कराने के लिए प्रधानमंत्री से मांग करते हैं।
बताते चलें कि श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में इन दिनों संतों में आपसी विवाद चल रहा हैं और मामला न्यायालय तक जा पहुंचा हैं। विवाद के कारण अखाड़े के संत दो गुटों में बंटे हैं। जिसकों लेकर दोनों गुटों में आरोप-प्रत्यारोप लगाने का दौर जारी हैं। इसी रार के चलते आए दिन नए मामले उजागर हो रहे हैं।
बीते दिन संतों के एक गुट ने भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्रा को अखाड़े की धर्मिक संपत्तियों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप न करने की चेतावनी देते हुए अखाड़े में घटित घटनाक्रमों की सीबीआई जांच की मांग की थी। अब जो संत कल-तक पद बर्खास्त संतों पर अखाड़े की संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने का आरोप मढ़ रहे थे, संत दयानंद के आरोपों के बाद अब सवाल उन संतों पर भी उठ रहे हैं जो कल-तक बर्खास्त संतों पर एकतरफा आरोप लगा रहे थे।